एआइएस व टीआइएस
टैक्स विभाग ने रिटर्न फाइलिंस आसान बनाने को AIS (Annual Information System) और TIS (Taxpayer Information Summary) की शुरुआत की है। एआइएस की मदद से आइटीआर भरना बेहद आसान हो जाता है। एआइएस फॉर्म 26AS का ही Extension है।
क्या है एआइएस ?
AIS (Annual Information System)में टैक्सपेयर्स को अलग-अलग माध्यमों से हुई कमाई का पूरा ब्यौरा होता है। इनमें ब्याज से हुई कमाई, रेकरिंग-एफडी से आय, डिविडेंड में मिले पैसे, म्यूचुअल फंड समेत अन्य सिक्योरिटीज से कमाई, विदेश से मिले पैसे आदि की पूरी जानकारी होती है। टीआइएस इसका सारांश है। अंतर दिख रहा हो तो उसे ठीक कराएं। आइटीआर दाखिल करने से पहले फॉर्म 16, फॉर्म 16ए व फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारियों का मिलान कर लेना चाहिए। दोनों फॉर्म में अगर अंतर दिख रहा हो तो उसे ठीक कराएं, फिर आइटीआर दाखिल करें। बिना ठीक कराए आइटीआर फाइल करने पर आयकर विभाग नोटिस जारी कर सकता है।
कौन सा फॉर्म आपके लिए उपयुक्त ?
Form 1
(फॉर्म-1 (सहज)) : यह उनके लिए है जिनकी कुल आय 50 लाख रुपए से कम है। आय के स्रोत में सैलरी, एक घर की संपत्ति, अन्य स्रोत जैसे ब्याज, लाभांश और 5,000 रुपए तक की कृषि आय शामिल है।
Form 2
फॉर्म 2 : यह उनके लिए है जो वेतनभोगी हैं और अन्य स्रोत से आय पाते हैं, लेकिन व्यवसाय से नहीं। सैलरी या पेंशन पाने वाले लोग जिन्हें हाउस प्रॉपर्टी कैपिटल गेन्स, सट्टा, लॉटरी या लीगल गैम्बलिंग, अनलिस्टेड कंपनी में निवेश से कमाई होता है, वे आइटीआर फॉर्म-2 भर सकते हैं।
Form 3
फॉर्म 3 : यह उनके लिए है जिन्हें अपने बिजनेस या कंपनी या प्रोफेशन से आय प्राप्त होती है।
Form 4
फॉर्म 4 (सहल) : यह एचयूएफ व बिजनेस करने वालों के लिए है, जिन्होंने प्रीजम्पटिव स्कीम का विकल्प चुना है। साथ ही जिनकी आय कारोबार और पेशे से 50 लाख से अधिक है।
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